basoda kyu manaya jata hai janiye, बासोडा क्यों मनाया जाता है जानिए यहां से जानकारी

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बसोड़ा क्यों मनाया जाता है? | Why is Basoda Celebrated?



बसोड़ा (Basoda) त्योहार शीतला माता की पूजा के लिए मनाया जाता है, जिन्हें बीमारियों से बचाने वाली देवी माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से चेचक (smallpox), खसरा (measles) और अन्य संक्रमणों से रक्षा के लिए मनाया जाता है। इस दिन बासी भोजन खाने और माता को चढ़ाने की परंपरा है।


बसोड़ा क्या है? | What is Basoda Festival?

बसोड़ा पर्व, जिसे शीतला सप्तमी (Sheetla Saptami) या शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) भी कहा जाता है, होली के बाद पहली सप्तमी या अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन स्वच्छता और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि परिवार को बीमारियों से बचाया जा सके।

बसोड़ा मनाने का कारण | Significance of Basoda Festival

  1. रोगों से बचाव – शीतला माता को संक्रमण और त्वचा रोगों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।
  2. बासी भोजन ग्रहण करना – इस दिन नया खाना नहीं बनाया जाता, बल्कि पहले से बना हुआ भोजन खाया जाता है।
  3. स्वच्छता का संदेश – घर और रसोई की सफाई की जाती है, जिससे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
  4. परिवार की भलाई – इस दिन की पूजा बच्चों और परिवार के स्वास्थ्य के लिए की जाती है।

बसोड़ा पर्व की परंपराएं | How is Basoda Celebrated?

1. पूजा की विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर घर और रसोई की सफाई की जाती है।
  • शीतला माता के मंदिर में जाकर पूजा की जाती है और माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
  • महिलाएं व्रत रखती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

2. बासी भोजन ग्रहण करना

  • इस दिन कोई नया भोजन नहीं बनाया जाता।
  • पहले से बना हुआ रोटी, पूड़ी, दही, मिठाई, चूरमा, हलवा और गुड़ खाया जाता है।
  • माना जाता है कि यह भोजन शरीर को ठंडक प्रदान करता है और रोगों से बचाव करता है।

3. शीतला माता की कथा सुनना

  • इस दिन शीतला माता की कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
  • मान्यता है कि इस कथा को सुनने से परिवार पर आने वाली विपत्तियां टल जाती हैं।

बसोड़ा पर्व कहां मनाया जाता है? | Where is Basoda Celebrated?

यह पर्व भारत के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है, विशेष रूप से –

  • राजस्थान
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश
  • गुजरात
  • हरियाणा
  • बिहार

शीतला माता की पौराणिक कथा | Mythological Story of Sheetla Mata

एक बार शीतला माता मानव रूप में पृथ्वी पर आईं और एक गांव में जाकर रहने लगीं। वहां उन्होंने लोगों से अपनी पूजा करने को कहा, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं मानी। इससे माता नाराज हो गईं और गांव में बीमारियां फैल गईं। जब लोगों को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने शीतला माता की पूजा की और बासी भोजन का भोग लगाया। माता प्रसन्न हुईं और गांव को रोग मुक्त कर दिया। तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई।


बसोड़ा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Basoda Festival FAQs

1. बसोड़ा कब मनाया जाता है?

यह होली के बाद पहली सप्तमी या अष्टमी को मनाया जाता है।

2. इस दिन नया भोजन क्यों नहीं बनाया जाता?

मान्यता है कि बासी भोजन खाने से शरीर को ठंडक मिलती है और बीमारियां नहीं होतीं।

3. क्या इस दिन व्रत रखा जाता है?

हां, कई महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं।

4. बसोड़ा कौन-कौन मनाता है?

यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है।

5. शीतला माता की पूजा क्यों की जाती है?

माता शीतला को संक्रमण और त्वचा रोगों से बचाने वाली देवी माना जाता है।


निष्कर्ष | Conclusion

बसोड़ा पर्व केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ा त्योहार भी है। यह परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से रक्षा के लिए मनाया जाता है। इस दिन बासी भोजन का सेवन और शीतला माता की पूजा करना शुभ माना जाता है।


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